Saturday, April 25, 2009


For more widgets please visit www.yourminis.com

और दिल्ली चुप रही

हाथी की नंगी पीठ पर
घुमाया गया दाराशिकोह को गली-गली
और दिल्ली चुप रही

लोहू की नदी में खड़ा
मुस्कुराता रहा नादिर शाह
और दिल्ली चुप
रही
लाल किले के सामने
बन्दा बैरागी के मुँह में डाला गया
ताजा लहू से लबरेज अपने बेटे का कलेजा
और दिल्ली चुप रही

गिरफ्तार कर लिया गया
बहादुरशाह जफर को
और दिल्ली चुप
रही
दफा हो गए मीर गालिब
और दिल्ली चुप
रही
दिल्लियाँ
चुप रहने के लिए ही होती हैं हमेशा
उनके एकान्त में
कहीं कोई नहीं होता
कुछ भी नहीं होता कभी भी शायद

Tuesday, April 14, 2009

विष्‍णु प्रभाकर

विष्‍णु प्रभाकर जी के इस दुनिया को अलविदा कहने से हिंदी का जो कोना खाली हुआ है वह कभी नहीं भर सकता। अब आवारा मसीहा हमेशा के लिए एक ऐसी राह पर चला गया जिस पर से कोई वापस नहीं आता। मेरठ खडी बोली रिजन के लिए तो ये वैसे भी दोहरा आघात है। वे मीरांपुर की मिटटी में पैदा हुए और यहां से हिंदी के देशव्‍यापी पटल पर जदोजहद की। शरत चंद्र की जीवनी पर आवारा मसीहा जैसी अमर रचना लिखने वाला यह रत्‍न नए रचनाकारों को बहुत याद आयेगा क्‍योंकि इन लागों के लिए ये पिता समान थे। प्रेमचंद के युग से लेकर अब तक का सारा अनुभव प्रभाकर जी ने कितनी खुबी से लिखा वह कालजयी है। सोच में गांधीवादी और विचारों से संघर्षमयी विष्‍णु जी से मेरठ की जो यादें बाबस्‍ता हैं वे उनकी हमेशा याद कराती रहेंगी। आलोचना में नामवर सिंह जैसे दिग्‍गज का शिकार बनने वाले विष्‍णु जी ने कभी इस बात की चिंता नहीं की कि कोई क्‍या कहेगा यही तो है उनका सच्‍चा संघर्ष। अरे हिंदी के लाल आप को हम यूं भूला न पाएंगे।

Saturday, April 4, 2009

यह क्‍या है

यह एक अचरज भरी घटना थी कि पाकिस्‍तान के पश्‍चिमोत्‍तर सीमांत इलाके में महज 17 बरस की युवती को इश्‍क करने की कीमत अपने शरीर पर बेरहम चाबूकों के निशान खाकर सहनी पडी। उसे सरेआम 34 कोडे लगाए गए और इस बर्बर काम में उसका भाई भी शामिल था। एक पल के लिए ऐसा लगा कि दु‍निया के बहुतसे हिस्‍सों में अभी भी कबिलाई शासन है और कुछ कटटरपंथी लोग अपने कायदे कानूनों को वहां रहने वाले लोगों पर थोपते हैं। कुछ दिन पहले विश्‍व महिला दिवस मनाया गया और कुछ संभ्रांत ख्‍वातीनों को इस तरह पेश किया जैसे कि औरत की सारी बेडियां टूट गईं और अब सारी महिलाएं महफूज हैं लेकिन इस तरह की वारदात जब भी कहीं घटती हैं तो सच्‍चाई सारी इंसानी कौम को बेआबरू कर देती है। ता‍लिबान हो या विश्‍व का कोई भी कोना अगर अपनी ऐसी तस्‍वीर पेश करता हो तो लगता है कि क्‍या औरत, बहन और हर वो रिश्‍ता जो फीमेल जैंडर से जुडा हो पाप है।
इस घटना के बाद अस्‍मां जहांगीर का जो ब्‍यान आया था वह शायद ठीक ही है कि इस युवती की पुस्‍त पर पडने वाला एक एक कोडा सारी इंसानी कौम की पुस्‍त पर पडा चाबूक है। और इसे सहना नाकाबिले बरदाश्‍त है।