न अब पहले से लोग मिलते हैं
न ही वो वफा की बातें रही
में हुं और मेरा गुजरा हुआ जमाना
तु बता नई दुनिया के रहने वाले
क्या है फख्त तेरा फसाना।
दिन रात का पता नहीं बे कैफ से हैं
एक अजीब सी उमस में जी रहे हैं
अब तुम से क्या कहें बताना।
अजीब है सब और अपने पंजों में कैद है
रिहा होने के लिए मचल रहे है और क्या।
Sunday, March 22, 2009
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