यह एक अचरज भरी घटना थी कि पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर सीमांत इलाके में महज 17 बरस की युवती को इश्क करने की कीमत अपने शरीर पर बेरहम चाबूकों के निशान खाकर सहनी पडी। उसे सरेआम 34 कोडे लगाए गए और इस बर्बर काम में उसका भाई भी शामिल था। एक पल के लिए ऐसा लगा कि दुनिया के बहुतसे हिस्सों में अभी भी कबिलाई शासन है और कुछ कटटरपंथी लोग अपने कायदे कानूनों को वहां रहने वाले लोगों पर थोपते हैं। कुछ दिन पहले विश्व महिला दिवस मनाया गया और कुछ संभ्रांत ख्वातीनों को इस तरह पेश किया जैसे कि औरत की सारी बेडियां टूट गईं और अब सारी महिलाएं महफूज हैं लेकिन इस तरह की वारदात जब भी कहीं घटती हैं तो सच्चाई सारी इंसानी कौम को बेआबरू कर देती है। तालिबान हो या विश्व का कोई भी कोना अगर अपनी ऐसी तस्वीर पेश करता हो तो लगता है कि क्या औरत, बहन और हर वो रिश्ता जो फीमेल जैंडर से जुडा हो पाप है।
इस घटना के बाद अस्मां जहांगीर का जो ब्यान आया था वह शायद ठीक ही है कि इस युवती की पुस्त पर पडने वाला एक एक कोडा सारी इंसानी कौम की पुस्त पर पडा चाबूक है। और इसे सहना नाकाबिले बरदाश्त है।
Saturday, April 4, 2009
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1 comment:
छोटी पोस्ट लेकिन विचारों से भरी हुई। आपका उर्दू पर अच्छा अधिकार है, उर्दू के इस्तेमाल से हमारी बात ना सिर्फ खुबसूरत हो जाती हैं, बल्कि आसान भी।
irshadsir@gmail.com
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